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By: इको तंत्र सदस्य डेविड क्रिस्ट से सबक- विश्व चुनौती/ सी एच इ
Published: 01-03-2022


डेव दो साल पहले थाईलैंड इसी अवसर के लिए आये थे जो उन्हें अब मिला। संजाति विषयक अल्पसंख्यक पहाड़ी के किनारों पर खेती करने वाले किसान ज़्यादा रसायनिक उर्वरक इस्तेमाल करने के बावजूद कम उपज पा रहे थे।

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डेव, जो ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, के लिए भी इस परेशानी का कारण स्पष्ट था। कटाव की वजह से उनकी मृदा की ऊपरी परत हट गयी थी और जो बची थी वह मृदा घटिया थी जिसमें जैविक पदार्थ, खनिज, तथा सूक्ष्म पोषक तत्व कम थे।

सौभाग्य से डेव का मार्गनिर्देशन एक स्थानीय कृषि मिशनरी ने किया जिसने Sloping Agriculture Land Technology साल्ट अर्थात ढलान कृषि भूमि तकनीक इस तरीके के बनाने वालों से फिलीपीन्स में सीखी थी।

इसके आलावा थाई सरकार नई अपने संरक्षण व्  संवर्धन प्रयोगों के द्वारा मुफ्त बीज पहाड़ी के किनारों में खेती करने वाले किसानों में बाटी थीं। तो डेव के पास इन किसानों को समाधान देने के लिए तकनिकी जानकारी और बीज दोनों ही थे।

क्योंकि डेव की थाई भाषा की जानकारी प्रशिक्षण देने के लायक नहीं थी उन्होंने एक उत्तरी  थाईलैंड के किसान, जिसके इन किसानों के साथ सम्बन्ध थे, को काम पर रखा। उस किसान ने जल्दी ही साल्ट को भली प्रकार समझ लिया, यह किसान आत्मविश्वास से भरा हुआ व् एक अच्छा संचारक था और वह इन अपेक्षित या अधिकारहीन किसानों की परवाह करता था।

निश्चित रूप से, इस आसान, साबित की हुई तकनीक, मुफ्त बीज, मुफ्त उपकरण, मुफ्त सहायता, और ज़्यादा उपज की संभावना की वजह से डेव ने इस तकनीक का एकदम लागू किया जाना ही नहीं बल्कि इसकी वजह से उपज में बढ़त देखकर और किसानों का भी इसे लागू करने की अपेक्षा की।

ज़ाहिर है, डेव काफी व्याकुल और विक्षुब्ध हुए जब उन ३५ किसानों में से जिन्होंने साल्ट कार्यशाला में भाग लिया था केवल किसान ने साल्ट तकनीक को अपनी भूमि के एक भाग में लागू किया। शुआ ने लगातार कई साल बढ़ती उपज पायी। उस्सकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था, जब हर नए वर्ष की उपज पिछले वर्ष से ज़्यादा हुई। हुए लाभ से वो अपने घर की नयी छत बना सका और एक नयी मोटरसाइकिल और ट्रक भी ले सका। इसके साथ ही, हालाँकि शुआ की ज़मीं के पास के छोटे किसानों ने उत्पादकता में बढ़त देखी, उनमे से किसी ने भी साल्ट को नहीं अपनाया। डेव इससे और भी ज़्यादा हैरान हुए. उन्होंने सोचा, ..'मैंने क्या गलत किया?'; "जिससे आमदनी में बढ़त और जीवनशैली में बढ़ौतरी हो सकती थी उसे इन सबने क्यों ठुकराया?" इन प्रशनों ने उनके जीवन में एक लम्बी और जारी रहने वाली यात्रा आरम्भ की, समुदाय और उन उपकरणों को समझना जो समुदायों को सशक्त करते हैं। 

डेव अब उन कारकों और गतिविद्याओं को जिन्हे उन्होंने सी डी (समुदाय विकास शिक्षा) में भाग लेते और लागू करते समय पहचाना भी नहीं था, असल में सूक्षम्ता से देखने और समझने लगे। इसमें शामिल था कुछ निम्नलिखित चीज़ों को सूक्ष्मता से देखना:

  • डर
  • खतरे की समझ
  • एडॉप्शन बेल्ल कर्व (लोगों की नयी तकनीक को लागू करने की प्रतिक्रिया)
  • सामाजिक अनुमति
  • गरीबी की ओर समझ
  • बाज़ार के अनुचित प्रभाव
  • बदलाव का प्रतिरोध
  • अनुमानित जलन
  • परंपरा का सम्मान
  • असत्य मान्यतायें
  • अविश्वास
  • सम्बन्ध बनाने और अपनाने की ज़रुरत
  • समय-काल की सच्चाइयाँ, और बहुत कुछ

इन मूलयवान अनुभवों के सूक्ष्म दर्शन से सीखने के लिए कृपया डेव के स्वयं उत्तर देने वाली श्रंख्ला (समुदाय के विकास में खोज (Discoveries in Effective Community Development) के लिए अपने नाम देने का विचार करें जिसमें वो समझाते हैं कि यह सरल लेकिन अनिवार्य सिद्धांत हैं जो उन्होंने कई सौ विकास कार्यकर्ताओं को यह सब अनुभव करने के बाद पिछले १७ वर्षों से सिखाया है।


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